वर्षा के मौसम में आयुर्वेद के अनुसार, वाता तत्व बढ़ जाता है, जिससे लोग कुछ बीमारियों के प्रति प्रवृत्त होते हैं। इस समय में माइक्रोबियल संक्रमण से दूर रहना महत्वपूर्ण है और कुछ जड़ी-बूटियां उपयोगी हो सकती हैं। यहां डॉक्टर अर्चना सुकुमारन, केरल आयुर्वेद लिमिटेड की आयुर्वेद डॉक्टर (बीएएमएस), द्वारा वर्षा के मौसम में सुझाए गए कुछ उपयोगी आयुर्वेदिक टिप्स हैं:
- जीवाणु और कवकों को दूर करने के लिए जड़ी-बूटियां: घरों और कपड़ों को फुमिगेट करें ताकि नमी के कारण जो कवक या जीवाणु जम गए हो सकते हैं, उन्हें दूर किया जा सके। गुग्गुलु (कमिफोरा मुकुल), अगरु (अक्विलारिया अगलोचा), और चंदन (संतलम अल्बा) जैसी जड़ी-बूटियां जो क्रिमिघ्न (एंटी-माइक्रोबियल) गुणों वाली हैं, वे सबसे अधिक पसंद की जाती हैं।
- मौसम के अनुसार आहार: शरीर की शक्ति धीरे-धीरे बढ़ती है, लेकिन अग्नि (पाचन अग्नि) भारी भोजन पचाने में काफी कमजोर रहती है। वर्षा के मौसम में हल्का, पोषणयुक्त आहार सलाह दिया जाता है।
- गरम पानी पीना: गरम पानी पीने से शरीर की गर्मी बनी रहती है और आपको ठंडे मौसम में राहत प्रदान करता है। गरम पानी में अदरक, तुलसी, या नींबू का रस मिलाकर पीने से और भी फायदा होता है।
- व्यायाम करें: योग और प्राणायाम करने से शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और रोगों से बचाव होता है। योगासनों में वज्रासन, भुजंगासन, और अनुलोम-विलोम शामिल करें।
- गर्म खाद्य पदार्थ: गरम खाद्य पदार्थ खाने से शरीर की गर्मी बनी रहती है। जैसे कि गाजर, गोभी, अदरक, लहसुन, और मूली।
- अदरक और शहद का सेवन: अदरक और शहद मिलाकर खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
- अच्छी नींद: अच्छी नींद लेने से शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और रोगों से बचाव होता है।
- गरम तेल मालिश: गरम तेल से शरीर की गर्मी बनी रहती है और जोड़ों की दर्द से राहत मिलती है।
- अदरकी चाय: अदरकी चाय पीने से शरीर की गर्मी बनी रहती है और सर्दियों में राहत प्रदान करती है।
- विशेषज्ञ सलाह: अगर आपको किसी विशेष बीमारी की समस्या है, तो कृपया एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह ल