पीजीटीआई प्रमुख कपिल देव ने कहा, पेरिस ओलंपिक में अदिति से पदक जीतने की उम्मीद
अदिति ने टोक्यो ओलंपिक में अंत तक पदक की दौड़ में बने रहने के बाद चौथे स्थान पर रहकर सबका दिल जीत लिया। वह कांस्य पदक विजेता लिडिया को से एक स्ट्रोक पीछे और स्वर्ण पदक विजेता नेली कोर्डा से दो स्ट्रोक पीछे रहीं। रात भर दूसरे स्थान पर रहने के बाद अदिति का फॉर्म अंतिम दिन खराब हो गया।
कपिल ने पीटीआई वीडियोज को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, “मैं अदिति को उसी जोश के साथ खेलते देखना चाहता हूं, जैसा उसने टोक्यो ओलंपिक में खेला था। क्रिकेटरों और गोल्फ खिलाड़ियों के लिए फॉर्म बहुत महत्वपूर्ण है। अगर अदिति उसी फॉर्म में खेलती है, तो उसके पास पदक जीतने का अच्छा मौका है। और अगर उसका एक सप्ताह खराब रहा, तो वह केवल बाहर बैठकर हार का मलाल कर सकती है।”
विश्व कप विजेता कप्तान, जो कई वर्षों से पीजीटीआई सर्किट पर खेल रहे हैं, का मानना है कि भारत में गुणवत्तापूर्ण अंतरराष्ट्रीय स्तर के गोल्फ कोर्सों की भारी कमी है।
उन्होंने कहा, “भारत में स्थिति बहुत जटिल है। आपके पास अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार अच्छे गोल्फ कोर्स होने चाहिए, जिनमें शीर्ष टूर्नामेंट हों और लोग कठिन परिस्थितियों में गोल्फ खेलें और अच्छा स्कोर करें। भारत में कुछ कोर्स में भी सुधार करना होगा और खिलाड़ियों को अच्छे कोर्स में खेलने का मौका देना होगा।”
उन्होंने कहा, “मैंने 20 अंडर 19 अंडर 18 अंडर के मैच देखे हैं, लेकिन परिस्थितियां उतनी अच्छी नहीं होतीं, जितनी हम चाहते हैं। अगर कोई खिलाड़ी डीएलएफ गुड़गांव या ऑक्सफोर्ड में खेलता है और 15 या 20 अंडर का स्कोर करता है, तो आप कह सकते हैं कि आपने अलग स्तर पर खेला है।”
पीजीटीआई के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के बाद अपने विजन और प्राथमिकताओं के बारे में उन्होंने कहा, “मेरा पहला विजन गोल्फ में पैसा लाना और खिलाड़ियों को अधिक से अधिक गोल्फ उपलब्ध कराना है। फिलहाल वे साल में 15 या 20 सप्ताह ही खेलते हैं, अगर हम इसे साल में 30-35 सप्ताह कर सकें… तो यही विजन है।”
उन्होंने कहा, “इसके लिए केवल तभी रास्ता निकल सकता है जब अधिक प्रायोजक आएं। इसलिए मैं चाहूंगा कि अधिक दौरे और टूर्नामेंट आयोजित किए जाएं। मैं कई कंपनियों और कॉरपोरेट जगत के लिए दरवाज़ा खोलूंगा ताकि वे आगे आएं और गोल्फ़ को बढ़ावा दें।”
उन्होंने कहा, “गोल्फ थोड़ा अलग है, क्योंकि हर व्यक्ति को अपना पैसा खुद कमाना पड़ता है। क्रिकेट में बोर्ड फीस तय करता है। कॉरपोरेट जगत से बात करना शुरू करें कि क्या वे आकर और अधिक गोल्फ टूर्नामेंट आयोजित कर सकते हैं। यही हमारी तात्कालिक योजना है। मैं अकेला गोल्फ खिलाड़ी नहीं हूं, जिसने यह खेल खेला है।”
उन्होंने जोर देकर कहा, “मैं यह नहीं कह सकता कि मैं ही इसका नेतृत्व करूंगा। हां, मैं देश के बहुत सारे गोल्फ खिलाड़ियों की मदद करने की कोशिश करूंगा और अधिक से अधिक कॉरपोरेट्स को इस खेल में लाऊंगा।”